गीतकार शैलेन्द्र अपने समय के सबसे लोकप्रिय कवियों में से एक थे और वह समय भी आया था जब वह बॉलीवुड के सबसे महंगे गीतकार थे। उन्होंने अपने गीतों से विदेशों में भारत को एक नयी पहचान दी।
खास बातेंः
- गीतकार शैलेन्द्र को उनके गीतों के लिये तीन बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला।
- शैलेन्द्र ने फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी “मारे गए गुलफाम” पर ‘तीसरी कसम’ फिल्म बनायी।
- फिल्म ‘तीसरी कसम’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
फिल्मी दुनिया में राजकपूर के अलावा, फिल्मकार विमल रॉय और देवानन्द उनकी रचनात्मक सोच के कायल थे।
एसबीएस हिन्दी के साथ बात करते हुए शैलेन्द्र के बेटे श्री दिनेश शंकर शैलेन्द्र बताते हैं कि देवानन्द की फिल्म ‘गाइड’ में काम करने के लिये पहले शैलेन्द्र तैयार नहीं थे। और इसीलिये उन्होंने उस समय इतने अधिक पैसे मांगे जिसके बारे में उस समय कोई भी गीतकार सोच नहीं सकता थ।
क्या शैलेन्द्र को फिल्म 'गाइड' के लिये उतने अधिक पैसे मिल भी पाये थे? क्या हुआ होगा ?- पूरा किस्सा सुनिये दिनेश शंकर शैलेन्द्र जी के साथ इस बातचीत में।
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जब राजकपूर ने कविराज शैलेन्द्र को दिये थे 500 रुपये उधार
SBS Hindi
13/12/202015:44
Dinesh Shankar Shailendra - son of Bollywood lyricist Late Shailendra Source: Dinesh Shailendra
राजकपूर फिल्म ‘आग’ बनाने जा रहे थे जब उन्होंने पहली बार शैलेन्द्र को एक सम्मेलन में सुना।
शैलेन्द्र जी की एक कविता 'जलता है पंजाब' विभाजन की त्रासदी दर्शाती थी। उस कविता को सुनकर, राजकपूर ने शैलेन्द्र की रचनात्मक लेखनी को तुरन्त पहचान लिया। वह चाहते थे कि शैलेन्द्र उनकी फिल्म के लिये गीत लिखें लेकिन शैलेन्द्र अपने गीतों का सौदा नहीं करना चाहते थे।
वह अपनी रेलवे की नौकरी से संतुष्ट थे।
चाहे उस समय शैलेन्द्र ने राजकपूर को दो टूक मना कर दिया लेकिन वह पल भर की मुलाकात, जैसे शैलेन्द्र के लिये एक सुनहरे भविष्य के साथ मुलाकात थी।
हुआ यूं कि कुछ समय बाद, नियति ले गयी उन्हें राजकपूर के पास। पैसों की ज़रूरत थी और राजकपूर ने उन्हें 500 रुपये उधार दिये।
एक समय के बाद जब शैलेन्द्र पैसे लौटाने गये तो राजकपूर ने उस उधार को चुकाने का जो रास्ता सुझाया उससे न सिर्फ शैलेन्द्र को एक नयी पहचान मिली बल्कि दुनिया में भारत और राजकपूर को भी एक नयी पहचान मिली।
दिनेश शंकर राजकपूर के साथ हुए उस पूरे वाकये को विस्तार से बताते हैं।
पॉडकास्ट लिंक पर क्लिक करें और सुनिये राजकपूर के साथ हुए उस पूरे वाकये को और कैसे साइन की थी फिल्म गाइड ।
गीतकार शैलेन्द्र ने 1966 में रिलीज हुई फिल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किया जिसका निर्देशन बासु भट्टाचार्य ने किया था। फिल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान की मुख्य भूमिका थी।
लीक से हटकर बनी इस फिल्म को समीक्षकों ने बेहद सराहा और आज इस फिल्म को क्लासिक फिल्मों में से एक माना जाता है। लेकिन उस समय, बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म बुरी तरह से फ्लाप करार दी गयी थी।
लगभग 55 साल पहले बनी इस फिल्म के सभी गाने आज भी खूब पसंद किये जाते हैं।
चाहे बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म असफल रही लेकिन बाद में इस फिल्म को न सिर्फ सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला बल्कि यह मॉस्को अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में भारत की आधिकारिक प्रविष्ठी रही।
फिल्म पूरी दुनिया में सराही गयी। लेकिन शैलेन्द्र अपनी फिल्म की इस सफलता को देखने के लिए इस दुनिया में नहीं रहे। 14 दिसंबर, 1967 को सिर्फ 46 वर्ष की आयु में ही उनकी मृत्यु हो गयी।
शैलेन्द्र में एक ऐसी प्रतिभा थी कि वह बड़ी ही सफलता से अपने गीतों में एक साहित्यिक रंग भर देते थे।
वह ऐसे गीतकार थे जिन्होंने अपने गीतों में जीवन के हर रंग को, हर मर्म को सरल शब्दों में पिरोया।
उनके गीतों में सादगी, दार्शनिकता, उत्साह, आदर्श के साथ साथ त्याग, प्रेम और सौंदर्य के सभी रंग दिखायी देते हैं।