भारत में हर एक प्रान्त के अपने कुछ विशेष त्योहार हैं। इन में से एक है लोहड़ी जो पंजाब प्रान्त के साथ जुड़ा है।
खास बातेंः
- लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है
- यह समय किसानों के लिए भी उल्लास का समय माना जाता है
- लोहड़ी के लिये दुल्ला भट्टी से जुड़ी एक ऐतिहासिक कथा है
एसबीएस हिन्दी के साथ बातचीत में लंदन में बसी जानी मानी लेखका सुश्री कादम्बरी मेहरा ने इस त्योहार के ऐतिहासिक पक्ष पर बात की। कादम्बरी जी एक टीचर थीं और अब रिटायर्ड जीवन बिताते हुए भारत के विभिन्न त्योहारों और साथ में बनस्पति पर रिसर्च में जुटी हैं ।
वह बताती हैं कि यह त्योहार एक ऐतिहासिक त्योहार है और इसमें एक वीर, सदाचारी, धरतीपुत्र भारतीय को याद किया जाता है। इस वीर का नाम अब्दुल्ला भट्टी था।
सुनिये लोहड़ी के त्योहार की वह ऐतिहासिक कहानी उन्हीं के द्वारा इस पॉडकास्ट मेंः
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क्या है लोहड़ी की ऐतिहासिक कथा?
SBS Hindi
13/01/202107:17
Indian students put groundnuts and popcorn into a bonfire as a ritual during an event to celebrate the Lohri festival in Amritsar, India, 12 January 2021. Source: AAP Image/EPA/RAMINDER PAL SINGH
सुश्री मेहरा ने बताया कि उस पारम्परिक गीत के साथ जुड़ी कहानी में वीर अब्दुल्ला भट्टी, एक ज़मींदार परिवार में सोलहवीं शताब्दी के मध्य में पैदा हुआ था।
उसके पिता का नाम फरीद और मां का नाम लाड़ी था। वे लोग रावलपिंडी के पास रहते थे। यह बात अकबर के राज काल की है जब उसने पंजाब में अपने पांव गड़ा दिए थे और बारह वर्ष के लिए लाहौर को अपनी राजधानी बना लिया था।
उस गीत में चर्चित कथा की पृष्टभूमि के लिये सुश्री मेहरा ने बताया,
"एक बार एक हिन्दू किसान की दो बेहद सुन्दर लड़कियों की सगाई हुई। उनके नाम थे सुंदरी और मुंदरी। सगाई तो हो गयी मगर उनके ससुराल वाले गौना कराने नहीं आये। उनको अकबर के कारिंदों का डर था। ये लोग सुन्दर स्त्रियों को जबरदस्ती अगवा करके अकबर बादशाह को खुश करते थे। या उनको काबुल और कंधार के सौदागरों के हाथ बेच देते थे। लड़कियों के पिता ने अब्दुल्ला को पुकारा। अब्दुल्ला ने इस कारज का खुद बीड़ा उठाया। उसने घने जंगल में एक बड़ा अलाव जलाया और पंडित को बुलवाकर सुंदरी और मुंदरी के फेरे डलवाये। उसने खुद कन्यादान किया और दहेज में एक एक सेर शक्कर दी। तभी गांव वाले आ गये और उन सबने उत्सव में भाग लिया। चारों तरफ खुशी छा गयी। लोहड़ी का त्यौहार इसी वीर बहादुर स्त्रियों के संरक्षक, अब्दुल्ला की वीरगाथा है। हमें इससे सीख लेनी चाहिये।"
Indian students sing folk songs around a bonfire during an event to celebrate the Lohri festival in Amritsar, India, 12 January 2021. Source: AAP Image/EPA/RAMINDER PAL SINGH
सुश्री मेहरा ने आगे बताया कि लोहड़ी के गीत के बोल इस घटना के साक्षी हैं।
कुड़ी दा लाल पटाका, (दुल्हन का लाल जोड़ा था )
कुड़ी दा सालू फाटा, (उसकी चुन्नी फटी हुई थी )
सालू कौन समेटे (चुन्नी की लाज कौन रखे )
मामा गाली दस्से , (मामा दुष्टों को कोस रहा था )
भर भर चूरियां वंडे (जब दुल्ले ने शादी करवा दी तो मामा ने चूरी बांटी ).
इस त्योहार के ऐतिहासिक पक्ष के कारण, लोग सुन्दरी और मुन्दरी की कहानी को याद करते हुये लोहड़ी की अग्नि की परिक्रमा करके अपने सुखी जीनव की कामना करते हैं.
लोहड़ी का त्योहार, किसानों के लिये एक नए साल के रूप में भी है और यह फसल की कटाई और बुआई का समय भी है। फसल की उन्नति की कामना करते हुए किसान सूर्य और अग्नि के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
लोहड़ी के दिन आग में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं और इस पर्व में संगीत और नृत्य का समागम इसे और भी खूबसूरत बना देता है।
ऑस्ट्रेलिया में लोगों को दूसरों से कम से कम 1.5 मीटर दूर रहना चाहिए। अपने अधिकार क्षेत्र के प्रतिबंधों की जाँच सीमा पर करें।
यदि आप सर्दी या फ्लू के लक्षणों का सामना कर रहे हैं, तो घर पर रहें और अपने डॉक्टर को बुलाकर परीक्षण की व्यवस्था करें या 1800 020 080 पर कोरोनवायरस स्वास्थ्य सूचना हॉटलाइन से संपर्क करें।