एसबीएस हिन्दी के साथ बात करते हुये डा राज खिल्लन ने बताया कि ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्ड एक आजीवन स्थिति है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता को अपने बच्चे के व्यवहार के प्रति सतर्क रहने और चिकित्सकीय सलाह लेने की जरूरत है।
"जितना अधिक वे स्थिति के बारे में जानेंगे, उतना बेहतर होगा कि वे व्यक्तिगत बच्चे के अनुरूप विशेष देखभाल दे सकें।" डॉ. खिल्लन ने कहा।
Paediatrician Dr Raj Khillan Source: Supplied / Dr Raj Khillan
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक विकास संबंधी ऐसा विकार है जो बच्चे के व्यवहार से पहचाना जा सकता है। इसे एक न्यूरो बिहेवियरल कंडीशन के रूप में भी समझा जा सकता है.
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण
डॉ. खिल्लन ने बताया कि असामान्य भावनात्मक विस्फोट, भावनात्मक विकृति; और सामाजिक रूप से चिंतित होना बच्चों में ऑटिज्म के कुछ सामान्य व्यवहार संबंधी लक्षण हैं।
"छोटे बच्चों के रूप में, एएसडी से पीड़ित बच्चे शायद अपने नाम पर प्रतिक्रिया न दें। वे बार-बार एक या दो गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जैसे खिलौनों की कतार लगाना। हो सकता है कि उन्हें दूसरे बच्चों के साथ खेलने में कोई दिलचस्पी न हो। उनके अपने खेल के खराब होने पर भयानक रूप से गुस्सा हो जाना आदि ।"
अगर आप का २ साल का बच्चा मम्मी पापा या कोई दो शब्दों को जोड़ कर नहीं बोल रहा, आपके बुलाने पर जवाब नहीं देता या कुछ पूछने पर इशारा करके भी नहीं बता पा रहा, हर दिन एक ही तरह से व्यतीत करना चाहता है या फिर भूमिका निभाने वाली गतिविधियों की कल्पना नहीं करता जैसा कि आमतौर पर बच्चे मम्मी पापा बनकर रोल प्ले करना चाहते हैं तो समझना चाहिये कि यह सामान्य नहीं है।बाल विशेषज्ञ डा राज खिल्लन
डा खिल्लन ने बताया कि कई बार ऐसे बच्चे लोगों के बीच सहज नहीं महसूस करते। या वह किसी तरह के शोर से भी डरते हैं।
Source: SBS / SBS Insight
डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
डा राज ने ऐसे प्रत्येक व्यवहार के बारे में उदाहरणों के साथ विस्तार से चर्चा करते हुए कुछ सामान्य लक्षणों को बताया -
– २ साल का है लेकिन अभी भी नहीं बोल रहा
– एक ही शब्दों को बार बार बोलता है
– किसी के बुलाने पर जवाब नहीं देता है
– अकेले रहना ज्यादा पसंद करता है
– आई कॉनटैक्ट करने से बचता है
– एक ही हरकत बार बार करता है
– हर दिन एक ही तरह से व्यतीत करना चाहता है
– किसी भी एक काम या सामान के साथ पूरी तरह व्यस्त रहना चाहता है
– भूमिका निभाने वाली गतिविधियां नहीं करता है
Autism spectrum disorder, conceptual illustration. Credit: ART4STOCK/SCIENCE PHOTO LIBRARY/Getty Images/Science Photo Libra
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता को अपने बच्चे के व्यवहार के प्रति सतर्क रहने और चिकित्सकीय सलाह लेने की जरूरत है।
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम पर पहचाने गये अपने बच्चे को आत्मविश्वासी बनने के लिए सही चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में मदद करें; वह स्वतंत्र रूप से एक सफल जीवन जीते हैं।बाल चिकित्सक डा राज खिल्लन
पेरेंट्स के लिए कुछ टिप्स
पेरेंट्स के लिए बच्चों को समझना या उनकी मदद करना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। भावात्मक रूप से अपने उत्तेजित बच्चे को शान्त करना भी एक चुनौती होती है।
ऑटिस्टिक बच्चों को अक्सर कनेक्शन विकसित करने में मुश्किल होती है। ऐसे में परिवार के सदस्यों का स्थिति को समझना बेहद ज़रूरी है।
डा राज की सलाह है कि पता लगायें कि बच्चे को क्या परेशान करता है और उस स्थिती से बच्चे को धीरे धीरे परिचित कराये।
"अगर बच्चा शोर शराबे वाली जगह पर जाकर उत्तेजित हो रहा है तो पहले कम लोगों के बीच उसे लेकर जायें ताकि वह सामाजिक रूप से सहज होना शुरु करे। उसकी रूटीन को नहीं बदलें। अहर चाहिये तो धीरे धीरे उसको विश्वाल में लेकर कोई भी बदलाव करें।" डा राज ने सलाह दी।
डा राज खिल्लन ने दोहराया कि बच्चों में सामाजिक कौशल विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकता है। इसलिये धैर्य और प्यार से ऐसे बच्चों का जीवन सामान्य बनाने की कोशिश करनी चाहिये।
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अस्वीकरण: इस साक्षात्कार में दी गई जानकारी सामान्य प्रकृति की है। यह जानकारी आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती - अपनी स्थिति पर स्पष्ट सलाह के लिए अपने स्वास्थ्य चिकित्सक से संपर्क करें।
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