वैलेंटाइन्स डे विशेष: अवंतिका और आमिर ने साबित किया कि प्रेम में जाति या धर्म की कोई जग़ह नहीं

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आज 18 साल बाद जब मैं मुड़कर देखती हूँ तो मुझे आमिर वहीँ ऑफिस के बाहर हाथ में गुलाब लिए दीखता है। और फिर मैं जब सामने देखती हूँ तो बच्चों के साथ वो इंतज़ार करता नज़र आता है।


मेलबोर्न के दक्षिण पूर्वी इलाके में रहने वाले आमिर ख्वाजा और अवंतिका भारद्धाज अपने तीन बच्चों  रहते हैं। 

ऑस्ट्रेलिया के मल्टीकल्चरल समाज में भारतीय ऑस्ट्रेलियाई पन्ने पर उनका अपना महत्व है। 

फिल्म “टू स्टेट्स” की तरह ही वो अलग प्रांत और भाषा की पृष्ठभूमि से आते हैं लेकिन फिर भी उनको कुछ एक करता है। 

इसकी शुरुवात कैसे हुई इस सवाल पर अवंतिका करीब 18 साल पीछे चली जाती हैं।
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वे भारत के पटियाला शहर से राजधानी दिल्ली के समीप नोएडा में सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम करने पहुंची तो उनकी मुलाक़ात वहां काम कर रहे आमिर ख़्वाजा से हुई। 

अवंतिका कहती हैं कि “मैं जितनी चुप रहकर दूसरों की बात सुनती हूँ आमिर उतना ही बातूनी है शायद उसकी ये खूबी ही मुझे अच्छी लगी और हम दोस्त बन गए।”

कहते हैं कि दोस्ती में धर्म, जाति, प्रान्त और भाषा का भेदभाव नहीं होता। 

“अपना पहला वैलेंटाइन्स डे हमने दूसरे सब दोस्तों के साथ मिलकर ही मनाया। तब तक शायद ऐसा कुछ था भी नहीं, लेकिन उस दिन मुझे लगा कि वो सिर्फ एक दोस्त नहीं उससे कुछ ज्यादा है।”
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आमिर ख़्वाजा उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले से सम्बन्ध रखते हैं। उन्होंने जामिआ मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियर की डिग्री हासिल की। 

वे बताते हैं कि किसी को पसंद करना हम सभी के साथ होता है, लेकिन दूसरे भी आप को पसंद करें ये एक सुखद अनुभव है। 

“हमारी कहानी में इमोशन हैं, ड्रामा है, जुदाई भी है लेकिन भरोसा और समर्पण सबसे ज़्यादा है। मुझे लगता है कि इसी वजह से आज हम साथ हैं।”

साल 2003 में अवंतिका इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में मास्टर डिग्री करने मेलबोर्न आ गयी तो आमिर ने अपने काम का विस्तार ऑस्ट्रेलिया तक बढ़ा लिया।
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वे बताती हैं, “हम दोनों ने अपने लिए कुछ पर्सनल गोल निर्धारित किये थे और उनको हासिल करके ही अगला कदम उठाया।”

अवंतिका हसतें हुए कहतीं है कि अलग धर्म होने की वजह से जो परेशानियां आती हैं उनका सामना हमे भी करना पड़ा, मगर क्या इससे कोई फर्क पड़ता है। 

आज वैलेंटाइन्स डे है, वैसे इस दिन के हमारे लिए ज़्यादा मायने नहीं हैं क्यों कि अगर आप अपने रिश्तें में खुश हो तो सभी दिन वैलेंटाइन्स डे हैं। 

सभी पति पत्नी एक दूसरे से नाराज़ होते हैं हम भी होते हैं। रूठने-मनाने और फिर हँस देने का नाम ही ज़िंदगी है।
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आमिर बताते हैं कि, “मेरी ग़लतियाँ बता कर मुझे बेहतर इंसान बनाने का सारा श्रेय मैं अवंतिका को देता हूँ मगर हर बार अपनी गलती सुनना अच्छा नहीं लगता है।”

मेरे लिए वैलेंटाइन्स डे के मायने अपने परिवार के साथ समय बिताना है। 

अगले जन्म में भी एक दूसरे के साथ रहने के सवाल पर दोनों ख़ूब हसतें हैं और फिर एक साथ कहते हैं “बिलकुल।”


 


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