'द सिद्धूज़ ऑफ अपर जुहू' सिडनी में

Poster of a play The Sidhdhus of Upper Juhu

Source: Supplied / Manju Mittal

भारत का प्रसिद्ध नाटक 'द सिद्धूज़ ऑफ अपर जुहू' सिडनी पहुंचा है. मुंबई में एक मध्यमवर्गीय परिवार की इस कहानी में हास्य का तड़का है. मुख्य कलाकार हैं. रजित कपूर शेरनाज़ पटेल, शिशिर शर्मा, मीरा खुराना और कजली शर्मा.


सिडनी के कासलहिल में शुक्रवार की शाम कई लोग एक बेहतरीन भारतीय नाटक को कुछ बेहतरीन कलाकारों द्वारा रंगमंच पर उतारे जाने का गवाह बनेंगे. नाटक का नाम है ‘द सिद्धूज़ ऑफ अपर जुहू’ और इसे सिडनी के दर्शकों के लिए लेकर आ रही हैं साई क्रिएटिव आर्ट्स की मंजू मित्तल.

क्या है नाटक की कहानी?

दरअस्ल हास्य से भरा ये नाटक एक परिवार की कहानी है जो कि मुंबई की जद्दोजहद में फंसा है. नाटक के डायरेक्टर हैं राहुल दा कुन्हा. नाटक के मंचन से पहले सिडनी पहुंचने पर पूरा सिद्धू परिवार मीडिया से मुख़ातिब हुआ. तो ज़रा इस नाटक के कलाकारों के बारे में भी जान लीजिये.

इस नाटक के मुख्य कलाकार हैं रजित शर्मा और शेरनाज़ पटेल, नाटक में शिशर शर्मा, मीरा खुराना और कजली शर्मा भी अहम किरदार निभा रहे हैं. नाटक के बारे में बताते हुए रजित शर्मा कहते हैं ये कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार की है. जो  कि मुंबई में रहने की जद्दोजहद में फंसा है.
Team of The Sidhdhus of Upper Juhu
Source: Gaurav Vaishnava / SBS Hindi

"बहुत अच्छे नहीं है भारतीय रंग मंच के हालात"

भारतीय रंगमच के विदेशों में भविष्य को लेकर एक सवाल के जवाब में शिशिर कहते हैं कि स्थिति बहुत चिंता जनक है क्योंकि साल 1978 में जब उन्होंने थिएटर की शुरूआत की थी, तब से अभी तक नाटक को लेकर होने वाली जद्दोजहद में उन्हें कोई बदलाव नज़र नहीं आता. रजित कहते हैं कि भारत में लोगों की इतनी समस्याएं हैं कि किसी को ये कहना कि थिएटर देखने के लिए टिकट खरीदो थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन उन्हें नाटक की ख़ातिर ऐसा कहना पड़ता है. शरनाज़ कहती हैं कि क्योंकि नाटक में शास्त्रीय संगीत या नृत्य की तरह भारतीयता नहीं दिखती इसलिए इसे सरकारी मदद भी नहीं मिलती. लेकिन मीरा का मानना है कि परिवर्तन हो रहा है.

क्या होना चाहिए ताकि नाटकों को बढ़ावा मिले. इस पर रजित कपूर ने कहा कि भारत में और विदेशों में बहुत भारतीय संस्थाएं हैं जो अच्छा काम कर रही हैं उन्हें आगे आना चाहिए.

साई क्रिएटिव आर्टस से मंजू मित्तल ने कहा कि वो रंगमंच पसंद करती हैं और वो पहले भी सिडनी के लोगों के लिए कई शो कर चुकी हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि एक भारतीय नाटक का आयोजन और ख़ासकर टिकटों की बिक्री उनकी लिए आसान नहीं था
Organiser Manju Mittal with Rajit Sharma and Shernaz Patel
Source: Supplied / Manju Mittal

किसी माध्यम में अभिनय में अंतर नहीं होता- रजित

रंगमंच और फ़िल्मों या टीवी पर अभिनय के बीच अंतर के बारे में सवाल पूछे जाने पर रजित शर्मा ने कहा कि तक़नीकी बातें ज़रूर बदल जाती हैं लेकिन एक अभिनेता के तौर पर उनकी एक्टिंग में कोई बदलाव नहीं आता. इस बात को लेकर शरनाज़ भी उनसे सहमत नज़र आईं. जबकि मीरा खुराना का मानना था कि थिएटर में आपके दर्शक आपके सामने होते हैं और अभिनय के दौरान ही आप उनके अंदर के उतार चढ़ावों को महसूस कर सकते हैं.

रजित ने कहा कि संगीत नाट्य अकादमी जैसी नाट्य संस्था भारत में हैं लेकिन अगर नाटक शैली को सरकार की मदद की नज़रिये से देखा जाए तो ये ना के बराबर है. हालांकि शिशर शर्मा ने दावा किया कि वो दिन भी आयेगा जब लोग मोबाइल पर ये देखेंगे कि कौन सा नाटक देखने जाएं.

ऑस्ट्रेलिया को लेकर कलाकारों का नज़रिया

हालांकि रजित और शिशर पहले भी कई मर्तबा ऑस्ट्रेलिया आ चुके हैं. लेकिन महिला कलाकारों का ये पहला अनुभव था. अपने अनुभवों के बारे में शरनाज़ कहती हैं यहां दुनिया के किसी भी बड़े शहर के मुकाबले लोग कुछ आराम से काम करते हैं.

मीरा ने बताया की उनका संपर्क साल 1972 में ऑस्ट्रेलियाई लोगों से हुआ था और तब उनके दिल में ऑस्ट्रेलियाई लोगों की अच्छी तस्वीर बनी थी. वो कहती हैं कि आज जब वो ऑस्ट्रेलिया में हैं तब उन्होंने उस तस्वीर को सच पाया है.

हालांकि कजली ने कहा कि जब उन्होंने देखा कि दुकानें इतनी जल्दी बंद हो जाती हैं तो उन्हें थोड़ा अजीब लगा क्योंकि भारत में तो तब शाम शुरू होती है.

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