धीरे धीरे इतने सारे लोग इससे जुड़ गए कि अब भारत के हर प्रदेश से लोग यहां मौजूद हैं. विदेशों से भी लोग इसमें जुड़ गए. और फिर क्या लग गयी ‘डिजिटल चाय की अड़ी’ और शुरू हो गया बनारसी गलचौर.
खास-खास बातेंः
- लॉकडाउन के कारण बनारस की मशहूर चाय की अड़ी बंद हो गई हैं.
- अब डिजिटल चाय की अड़ी शुरू हो गई हैं और देश-विदेश में फैल रही हैं.
- भारत के प्रधानमंत्री ने भी इनकी तारीफ की है.
गुड मॉर्निंग मित्रों !!! ☕☕☕ #वर्तमान से #सुख लेने का #प्रयास करिये,#भविष्य बहुत #कपटी #होता है... ☕☕☕ हर हर महादेव ... #digitalchaikashi Posted by डिजिटल चाय की अड़ी on Monday, 27 July 2020
बात बनारस की. काशी विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से सांसद हैं. काशी भी चाय के लिए प्रसिद्ध है. यहां चाय की दुकानों पर अक्सर भीड़ मिल जाएगी. बनारसी लहजे में इसे ‘चाय की अड़ी’ कहते हैं. पूरे बनारस में बहुत सी ऐसी चाय की अड़ियां प्रसिद्ध हैं. कुछ तो रात में 2-3 बजे तक खुली रहती हैं.
Stray dogs surround an Indian roadside tea vendor as he reaches into a packet of cookies to feed them on a street in Allahabad, Nov. 7, 2012. Source: AP Photo/Rajesh Kumar Singh
इन विचारों के आदान-प्रदान में गाली भी शामिल रहती हैं लेकिन कोई बुरा नहीं मानता. और बहस भी काशी से शुरू होकर, गंगा, वरुणा होते हुए लखनऊ तक पहुंचती है. फिर दिल्ली की बातें और फिर अमेरिका और फिर डब्लूएचओ तक बात जाती हैं. कुल्हड़ में चाय और बनारसी अंदाज़ में बहस, अब मतलब आप समझ ही सकते हैं.‘डिजिटल चाय की अड़ी’ पर जब सार्थक लगी तो बात फैलती चली गयी. लोग जैसे काशी में चाय की अड़ी पर मिलते थे वे अब डिजिटल मिलने लगे हैं. यही नहीं, इस बात की चर्चा प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं की और इसकी सराहना की है.
Congress party supporters wait for the arrival of General Secretary Priyanka Gandhi Vadra in Varanasi, India Source: AP Photo/Altaf Qadri
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