डिजिटल हो गई है बनारस की मशहूर 'चाय की अड़ी'

An Indian roadside tea vendor prepares tea for people reading newspapers in New Delhi, India, Tuesday, March 1, 2016.

An Indian roadside tea vendor prepares tea for people reading newspapers in New Delhi, India, Tuesday, March 1, 2016. Source: AP Photo/Altaf Qadri

कोरोना काल में लॉकडाउन हो गया. ‘चाय की अड़ी’ लगना बंद हो गईं. लोग घरों में बंद हो गए. कुछ अवसाद में आ गए. ऐसे में काशी के ही रहने वाले समाजसेवी अरविन्द मिश्र ने शुरू कर दी डिजिटल चाय की अड़ी. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पेज बनाया और लोगों को इससे जोड़ा.


धीरे धीरे इतने सारे लोग इससे जुड़ गए कि अब भारत के हर प्रदेश से लोग यहां मौजूद हैं. विदेशों से भी लोग इसमें जुड़ गए. और फिर क्या लग गयी ‘डिजिटल  चाय की अड़ी’ और शुरू हो गया बनारसी गलचौर.


खास-खास बातेंः

  • लॉकडाउन के कारण बनारस की मशहूर चाय की अड़ी बंद हो गई हैं.
  • अब डिजिटल चाय की अड़ी शुरू हो गई हैं और देश-विदेश में फैल रही हैं.
  • भारत के प्रधानमंत्री ने भी इनकी तारीफ की है.
 

गुड मॉर्निंग मित्रों !!! ☕☕☕ #वर्तमान से #सुख लेने का #प्रयास करिये,#भविष्य बहुत #कपटी #होता है... ☕☕☕ हर हर महादेव ... #digitalchaikashi Posted by डिजिटल चाय की अड़ी on Monday, 27 July 2020

बात बनारस की. काशी विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से सांसद हैं. काशी भी चाय के लिए प्रसिद्ध है. यहां चाय की दुकानों पर अक्सर भीड़ मिल जाएगी. बनारसी लहजे में इसे ‘चाय की अड़ी’ कहते हैं. पूरे बनारस में बहुत सी ऐसी  चाय की अड़ियां प्रसिद्ध हैं. कुछ तो रात में 2-3 बजे तक खुली रहती हैं. 

Stray dogs surround an Indian roadside tea vendor as he reaches into a packet of cookies to feed them on a street in Allahabad , India, Wednesday, Nov. 7, 2012.  (AP Photo/Rajesh Kumar Singh)Street dogs
Stray dogs surround an Indian roadside tea vendor as he reaches into a packet of cookies to feed them on a street in Allahabad, Nov. 7, 2012. Source: AP Photo/Rajesh Kumar Singh
काशीवासियों के लिए ये  चाय की अड़ी जीवन का एक अभिन्न अंग हैं. वे यहां मिलते हैं, विचार विमर्श करते हैं और चाय पीते हैं. बातचीत को यहां गलचौर कहा जाता है.
इन विचारों के आदान-प्रदान में गाली भी शामिल रहती हैं लेकिन कोई बुरा नहीं मानता. और बहस भी काशी से शुरू होकर, गंगा, वरुणा होते हुए लखनऊ तक पहुंचती है. फिर दिल्ली की बातें और फिर अमेरिका और फिर डब्लूएचओ तक बात जाती हैं. कुल्हड़ में चाय और बनारसी अंदाज़ में बहस, अब मतलब आप समझ ही सकते हैं.
Congress party supporters wait for the arrival of General Secretary Priyanka Gandhi Vadra in Varanasi, India
Congress party supporters wait for the arrival of General Secretary Priyanka Gandhi Vadra in Varanasi, India Source: AP Photo/Altaf Qadri
‘डिजिटल चाय की अड़ी’ पर जब सार्थक  लगी तो बात फैलती चली गयी. लोग जैसे काशी में  चाय की अड़ी पर मिलते थे वे अब डिजिटल  मिलने लगे हैं. यही नहीं, इस बात की चर्चा प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं की और इसकी सराहना की है.

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