ऑस्ट्रेलिया डे: कहां से आया, कब आया, कैसे आया

Australia Day Cupcakes

Lamington Topped Cupcakes, from an Australia Day BBQ. Source: iStockphoto

26 जनवरी एक अद्भुत तारीख है. ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में एक ऐसा मील का पत्थर जिसके एक तरफ जश्न लिखा है तो दूसरी तरफ मातम. कुछ लोगों को यह तारीख रुला देती है तो कुछ लोगों को फख्र से भरती है. ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीयों के लिए तो इस तारीख का अहसास अलग ही है क्योंकि उनकी सरजमीं के इतिहास में भी इस तारीख को सुनहरी पन्नों पर लिखा गया है.


क्या आप जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में 26 जनवरी का इतिहास क्या है? इस तारीख का इतिहास दरअसल धरती के उस हिस्सा का इतिहास है जिसे ऑस्ट्रेलिया कहते हैं. तो आइए, शुरुआत से आखिर तक इस तारीख के सफर के दस अहम पड़ाव आपको बताते हैं. ये पड़ाव इतिहासकार डॉ. एलिजाबेथ क्वान ने खोजे हैं और ऑस्ट्रेलिया डे डॉट ओआरजी पर उपलब्ध हैं.

 

नंबर 1

1770 से पहले ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया के नाम से तो नहीं जानते थे. हालांकि यहां रह रहे लोग तक शायद 16 सौ से भी ज्यादा पीढ़ियां गुजार चुका था. लेकिन 22 अगस्त 1770 कैप्टन जेम्स कुक के कदम इस जमीन पर पड़े और इतिहास ने करवट ली. और उसके महज 18 साल बाद 26 जनवरी की तारीख इतिहास की किताब में दर्ज हुई. उस दिन फर्स्ट फ्लीट के कमांडर कैप्टन आर्थर फिलिप  ग्रेट ब्रिटेन से सिडनी कोव पहुंचे. वह न्यू साउथ वेल्स के पहलेन गवर्नर थे. उन्होंने ब्रिटिश झंडा जिसे यूनियन जैक कहते हैं, इस जमीन पर फहराया और यहां ब्रिटेन का नया उपनिवेश बनाया.

नंबर 2

1804 में सिडनी गजट में और दूसरे कई कैलंडर्स में 26 जनवरी को फर्स्ट लैंडिंग डे या फाउंडेशन डे लिखा गया. सिडनी में इस दिन जश्न मनाया गया. लेकिन इस दिन आधिकारिक तौर पर छुट्टी घोषित हुई 1818 में जब गवर्नर मैक्वॉयरी ने इस दिन की 13वीं ऐनिवर्सरी मनाई. इससे कुछ महीने पहले ही इस महाद्वीप का नाम ऑस्ट्रेलिया स्वीकार किया गया था.

नंबर 3

1888 में अंग्रेजों के आगमन के सौ साल का जश्न मनाया गया. उस साल फाउंडेशन पर तस्मानिया, विक्टोरिया, क्वीन्सलैंड, वेस्टर्नस ऑस्ट्रेलिया, साउथ ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड के नेता भी न्यू साउथ वेल्स आए थे. यह एक अहम मोड़ था क्योंकि अब तक जो दिन सिर्फ न्यू साउथ वेल्स के लिए खास था, उसे पूरे मुल्क में मान्यता मिल रही थी. 1901 में एक ऑस्ट्रेलिया एक कॉमनवेल्थ बन गया. लेकिन बाकी मान्यताएं लगभग उसी तरह जारी रहीं. इनमें 26 जनवरी का जश्न भी शामिल था.

नंबर 4

1930 में द ऑस्ट्रेलियन नेटिव्स असोसिएशन ने एक अभियान शुरू किया. यह संस्था ऑस्ट्रेलिया में जन्म यूरोपीय मूल के लोगों ने बनाई थी. उन्होंने 26 जनवरी को पूरे देश में ऑस्ट्रेलिया डे के रूप में मनाने का अभियान शुरू किया. 1931 में विक्टोरिया की सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. 1935 तक 26 जनवरी बाकी राज्यों और टेरिटरीज में भी फैल गई.

नंबर 5

1938 में इतिहास ने दूसरी करवट ली. कुछ मूल निवासी नेता उस साल 26 जनवरी को सिडनी में जमा हुए. उन्होंने पहली बार इस दिन को मातम के रूप में मनाया. उन्होंने श्वेत ऑस्ट्रेलियाइयों द्वारा अपने शोषण पर विरोध जताया और पूर्ण नागरिक अधिकारों की मांग की.

नंबर 6

1946 में ऑस्ट्रेलियन नेटिव्स असोसिएशन ने मेलबर्न में ऑस्ट्रेलियन डे सेलिब्रेशंस कमिटी बनाई. इसे बाद में ऑस्ट्रेलिया डे काउंसिल कहा गया. अन्य राज्यों में भी ऐसी ही संस्थाएं बनीं. इनका काम था लोगों को 26 जनवरी की अहमियत के बारे में जागरूक करना. यह इस तारीख के राष्ट्रीयकरण की दिशा में बेहद अहम कदम था. लेकिन सही मायने में इसके राष्ट्रीयकरण में कई साल लग गए.

नंबर 7

1979 में कॉमनवेल्थ सरकार ने नैशनल ऑस्ट्रेलिया डे कमिटी बनाई जिसका काम था ऑस्ट्रेलिया डे का राष्ट्रव्यापी जश्न मनाना. यही कमिटी 1984 में नैशनल ऑस्ट्रेलिया डे काउंसिल बन गई. यही साल था जब अडवांस ऑस्ट्रेलिया फेयर को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया.

नंबर 8

1988 में जब फर्स्ट फ्लीट के आगमन को 200 साल पूरे हुए, उस साल मूल निवासियों ने ऑस्ट्रेलिया डे को इनवेजन डे यानी आक्रमण दिवस कहा.

नंबर 9

1994 26 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया डे मनाया जाना पूरी तरह स्थापित हो गया.

नंबर 10

उसके बाद यह तारीख जितनी राष्ट्रवादी हुई है, उतनी ही विवादास्पद भी. अब राय साफ बंटी लगती है. 26 जनवरी को अपना और बेगाना मानने वाले लोग एक दम आमने सामने खड़े नजर आते हैं. और अक्सर उनके बीच में खड़े हैं दिखते हैं भारतीय, जिनका 26 जनवरी की तारीख से तो लगाव है लेकिन वे इसके राजनीतिक विवाद पर भी सोचते हैं. आप क्या सोचते हैं. अपनी राय जरूर दें.\


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