एसबीएस हिंदी के साथ बात करते हुए, पंडित अभ्यंकर ने बताया कि अक्टूबर 1991 में दूरदर्शन पर 'स्पिरिट ऑफ यूनिटी कॉन्सर्ट फॉर नेशनल इंटीग्रेशन' कार्यक्रम में भागीदारी, उनके लिये मील का पत्थर सावित हुयी। सिर्फ २२ वर्ष की आयु में उन्हें बड़े बड़े संगीतज्ञों की बराबरी में बैठ कर अपनी गायन कला दिखाने का अवसर मिला।
इस अवसर को अपनी संगीत यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बताते हुये वह कहते हैं,
"मेरे लिये वह 'सौ लुहार की और एक सुनार की' वाली बात रही। "
संगीत की रचनात्मक प्रक्रिया की गहराई, रागों की संरचना और इंप्रोवाइजेशन के बारे में अपने गायन से बताते हुये उन्होंने संगीत की दिव्य शक्ति की तरफ ध्यान दिलाया,
"राग की एक उत्कृष्ट प्रस्तुति चेतना में सहज प्रवाह बनाती है। और फिर वही संगीत 'मनोरंजन' से एक 'आध्यात्मिक अनुभूति की ओर ले जाता है।"
Pt Sanjeev Abhyankar during one of his performance Source: Supplied / Sanjeev Abhyankar
1999 में उन्हें हिन्दी फिल्म 'गॉडमदर' में गीत 'सुनो रे भाईला' के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्व गायक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2008 में उन्हें कुमार गंधर्व राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
मेवाती घराने के पंडित संजीव अभ्यंकर मेलबर्न फेस्टिवल ऑफ हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक 2024 में अपनी प्रस्तुति देंगे।
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