संगीत आपको भी बहुत अच्छा लगता है ना और अक्सर जब हम संगीत की बात करते हैं तो आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत का ज़िक्र हुए बिना संगीत पर बात करना अधूरा सा लगता है. और ये बात भी क़तई नहीं है कि सिर्फ भारतीय ही शास्त्रीय संगीत का ज़िक्र करते हैं या फिर उसे सुनना, या फॉलो करना पसंद करते हैं. बात जब शास्त्रीय संगीत सीखने या फिर इसके गायन की हो तब भी आपको ऐसे कई दिग्गज मिल जाएंगे. जो कि शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दे रहे हैं.
एक ऐसी ही दिग्गज हस्ती से हम आज आपको रूबरू करवा रहे हैं. जिनका नाम है तेनज़िंन चोग्याल. तेनिज़न इन दिनों अपने साथी कलाकारों के साथ ऑस्ट्रेलिया टूर में हैं. वो बताते हैं कि उनका बचपन एक अनाथालय में बीता.. दरअस्ल चीन द्वारा तिब्बत के अधिग्रहण के वक्त उनका परिवार एक शरणार्थी के तौर पर तिब्बत से भारत आया था. तेनज़िन का परिवार भारत के हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला नाम की जगह पर रहता था. तेनज़िन का बचपन तिब्बत चिल्ड्रेन्स विलेज नाम के एक अनाथालय में बीता.अपने गाने और संगीत के शौक के बारे में बताते हुए तेनज़िन कहते हैं कि उनकी मां को गाने का बहुत शौक था. और पिता बेहद सुरीली बांसुरी बजाते थे. तेनज़िन बताते हैं कि भारतीय शास्त्रीय संगीत ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है. और इसकी शुरूआत हुई की. उनके अनाथालय के सामने वाले मंदिर से हमेशा धर्मशाला की वादियों में भजन गूंजा करते थे.
Source: Supplied / Dawn Cooper
तेनज़िन बताते हैं कि साल 1995 में उन्होंने पंडित बिरजू महाराज से मुलाक़ात की थी और इस मुलाक़ात ने उन्हें एक पेशेवर संगीतकार बनने के लिए प्रेरित किया और उनके साथ ही उन्होंने भारतीय संगीत की कुछ समय तक शिक्षा ली है. वो मानते हैं कि उसकी झलक आज लोग उनकी प्रस्तुतियों में देख सकते हैं.
अब बात करते हैं उनके दो साथियों के बारे में आपको पता है उनके ये दोनों साथी जापानी हैं. इनमे से एक हैं मास्टर तारो तेराहारा तो कि एक बेहतरीन बांसुरीवादक हैं. और दूसरी हैं अयाको इकेडा जो कि एक बेहतरीन तबला वादक हैं. लेकिन तिब्बत के रहने वाले भारत में पले बढ़े तेनज़िन ने इनके साथ कैसे जोड़ी बना ली. इसके जवाब में तेनज़िन कहते हैं कि वो जापान में अपने एक कार्यक्रम के दौरान इनसे मिले थे. और तबसे वो दोनों कलाकारों को अच्छे से जानते हैं.देखा आपने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दीवानगी जापान में भी है.. अपने साथियों के बारे में बताते हुए तेनज़िन कहते हैं कि इन दोनो कलाकारों ने भारतीय गुरुओं से दीक्षा ली है. आपको पता है कौन हैं बांसुरीवादक तारो तेराहारा के गुरु ? ये हैं बांसुरी के जादूगर हरि प्रसाद चौरसिया.
Source: Supplied / Dawn Cooper
तिब्बत में हालातों के लिए भी उनके दिल में दर्द है. वो कहते हैं कि तिब्बत अगर पहले की तरह होता तो जाहिर है दोनों देशों के बीच संगीत में गुरु और शिष्य़ जैसा रिश्ता होता.
ऑस्ट्रेलिया टूर के बारे में बताते हैं कि वो वो यहां पर तस्मानिया विक्टोरिया और न्यूसाउथ वेल्स में कई जगहों पर प्रस्तुति दे रहे हैं. जिसमें ख़ास आकर्षण भारत के शास्त्रीय गायन और तिब्बती लोक गीतों का फ्यूज़न होगा.
तेनज़िंन कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में उनके कार्यक्रम में आने वाले लोगों में भी इस देश की बहुसांस्कृतिक छवि दिखती है. वो कहते हैं
भीषण आग की वजह से ऑस्ट्रेलियाई लोगों में इस वक्त निराशा है, मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे संगीत के माध्यम से सुनने वालों में नई ऊर्जा का संचार होगा.