विजयदशमी का पर्व भारत, ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया भर में फैले हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग धूमधाम से मानते है। वैसे तो इस पर्व के पीछे कई कथाएँ प्रचलित हैं लेकिन भगवान श्री राम द्वारा लंकापति रावण का वध किया जाना सबसे अधिक प्रचलित है।
इसीलिए विजयदशमी को दशहरा पर्व भी कहा जाता है।
दुनिया के अनेक हिस्सों में सदियों से भगवान श्रीराम की कथा को रामलीला के रूप में हर साल मंचित किया जाता है।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में इस साल एक ऐसी रामलीला का मंचन किया गया जिसमें श्रीराम और रावण सहित सभी मुख्य पात्र महिलाओं ने निभाये।
कला संस्कृति मंच के तत्वाधान में दुर्गा अष्टमी के दिन इस अद्भुत रामलीला का मंचन काली माता मंदिर में हुआ।
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इस रामलीला की लेखिका और निर्देशिका रुचिका तलवार है।
वे कहती हैं महिलाओं द्वारा मुख्य पात्रों को निभाना एक चुनौती था।“भारत में रामलीला में सीता का पात्र अक्सर पुरुष करते रहे हैं, हमने भी सोचा क्यों न महिलाओं को मौका देते हुए उन्हें श्रीराम या रावण के पक्ष को समझने का अवसर दिया जाए।”
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उन्होंने एसबीएस हिंदी को बताया कि श्री रामायण को दो घंटे की नाटकीय प्रस्तुति में समेटना गागर में सागर संजोने जैसा था। लेकिन उनकी पूरी कोशिश ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली भारतीयों की अगली पीढ़ी को दशहरा पर्व के महत्व को समझाना रही।सोनल १४ साल पहले अपने माता पिता के साथ आठ साल की उम्र में मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया आ गयी थी। उन्होंने जीवन में कभी रामलीला का सजीव मंचन नहीं देखा है।
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वे बताती हैं कि घर पर होने वाली पूजा और टीवी स्क्रीन पर ही राम कथा को उन्होंने जाना।
लेकिन सीता के किरदार को निभाते हुई सोनल कहती हैं कि ये बेहद मुश्किल भावनात्मक यात्रा थी।श्रीराम के पात्र को निभाने वाली मीनाक्षी कहती हैं कि उनका परिवार भारत में रामलीला के मंचन से जुड़ा रहा है। यहाँ ऑस्ट्रेलिया में जब उन्हें श्रीराम के पात्र को करने के लिए कहा गया तो उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
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“श्रीराम की तरह किसी भी परिस्थिति में सदैव मुस्कुराते रहना सीखना मेरे लिए चुनौती रहा।”
मीनाक्षी बताती हैं कि शबरी की कथा और राम - सीता के वियोग प्रसंग ने उन्हें भावुक कर दिया था।
नलिनीकांत कुर्ल कुछ महीनों पहले अपने बेटे के परिवार के पास भारत से मेलबोर्न आये हैं।
वे बताते हैं कि मंदिर में एक दिन जब उनसे पूछा गया कि क्या वे राजा दशरथ का पात्र निभा पाएंगे, तो उन्होंने बिना किसी अनुभव के राम भरोसे हाँ कर दी।
नलिनीकांत कहते हैं कि महिला मुख्य पात्रों साथ काम करने का अनुभव शानदार रहा।
रामलीला जितनी श्रीराम के विषय में बताती है उतनी ही रावण के बारे में भी समझती है।
इस रामलीला में रावण का पात्र निर्देशिका रुचिका तलवार के हिस्से आया।
वो कहती हैं कि श्रीराम के बाद उनका सबसे प्रिय पात्र रावण का है इसलिए उन्होंने खुद करने का फैसला किया।
“रावण जैसा विद्वान कोई दूसरा नहीं था,लेकिन उसके द्वारा लिए गए निर्णयों ने उसे सदैव के लिए जलते रहने को अभिशप्त कर दिया।”
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