मेलबोर्न के पश्चिमी इलाके टारनैट में पिछले शनिवार को हुए घटनाक्रम ने भारतीय ऑस्ट्रेलियाई समाज को राजनीति और उससे जुड़ी खामियों के साथ जोड़ दिया।
दरअसल शनिवार सुबह लेबर पार्टी के स्थानीय नेता जसविंदर सिद्धू के घर पर पार्टी की होप्पेर्स क्रासिंग ब्रांच की बैठक होनी थी, जानकारी के अनुसार इस बैठक में बिन बुलाए ही करीब 100 से अधिक लोगो ने पहुंच कर हंगामा और मारपीट की।घटनास्थल पर मौजूद रहे गैरी गिल ने एसबीएस हिंदी को बताया कि ये एक सोचा समझा काम था।
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“उस दिन मीटिंग बुलाई गयी थी जसविन्दर के घर, 11 बजे का मीटिंग का टाइम था लेकिन कुछ लोग 9 बजे से ही वहां आने लगे। 100 ज्यादा लोगों के आने की वजह से वहां माहौल ख़राब हो गया।”
गैरी बताते हैं कि जब इस बैठक को भीड़ के कारण रद्द करने की घोषणा की गई तो मौजूद लोगों में से कुछ ने जसविंदर सिद्धू के साथ मारपीट की।
“पहले तो एक आदमी ने गेट मारा जसविन्दर के, फिर जब ये लोग उनके बैक यार्ड से मीटिंग रद्द होने के कारण निकलने लगे तो एक आदमी ने जसविन्दर को पंच मारा”
जसविंदर सिद्धू के घर पर मारपीट के समय मेलबोर्न के पश्चिमी इलाके से आने वाली दो एमपी सराह कन्नोल्ली और कौशल्या वाघेला मौजूद थी।
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जसविंदर सिद्धू ने एसबीएस हिंदी से बात करते हुए इस व्यवहार को गुंडागर्दी बताया।
“मैंने पार्टी फण्ड कम होने के कारण अपना घर और खाने पीने का सामान पार्टी बैठक के लिए दिया और उन लोगो ने आकर हंगामा मचाया”
“सौ लोग हमला करने के इरादे से मेरे घर में घुस गए, मेरे बुजुर्ग पेरेंट्स घबरा गए कि क्या हो गया। वैसे राजनीतिक प्रतिस्पर्धा होती है लेकिन ये बिलकुल अलग था। ये प्लान बना कर किया गया हमला था, लोगो को मेलबोर्न के पूर्वी और उत्तरी इलाको से बुला कर ये अंजाम दिया गया।”
“हिंसा का राजनीति में इस्तेमाल उसे निम्नतम स्तर पर ले गया है, इसे गुंडागर्दी और बदमाशी कहते है। इसकी कितनी भी निंदा करें कम है”
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वहीँ मेलबोर्न की विंडहम सिटी कॉउंसिल के कॉउन्सिलर और पूर्व लेबर पार्टी मेंबर इंताज खान कहते है कि ये पार्टी के चरित्र को दर्शाता है।
“जो जसविन्दर के साथ जो मारपीट हुई वो एक शर्मनाक बात है लेकिन ये भी कोई बड़ी बात नहीं क्यों कि लेबर पार्टी में हरेस्मेंट का कल्चर रहा है। अब लोग एक दूसरे को मारने लगे हैं। मैं इसकी पुलिस इन्क्वायरी के रिजल्ट को देखूंगा”रितेश चुग सी-क्यू-यू यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं।
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उनके अनुसार इस प्रकार की घटनाएँ मल्टीकल्चरल समाज को राजनीति से दूर कर सकतीं हैं।
“ये घटनाक्रम आपको असहज कर देता है। इस तरह की गुंडागर्दी या तानाशाही कहिये ये स्वीकार्य नहीं हो सकती। मैं ये नहीं कह रहा कि किसकी गलती थी, लेकिन जब मल्टीकल्चरल समुदाय के लोग इसे देखेंगें तो राजनीति से दूर होंगे।”