ऑस्ट्रेलिया के ट्रेज़रर जॉश फ्रेडेनबर्ग ने पिछले हफ्ते संसद में की अपनी टिपण्णी के लिए ऑस्ट्रेलियाई हिन्दू समाज से माफ़ी मांग ली है।
एक लिखित बयान में उन्होंने कहा...
“The butt of the joke was Labor’s Jim Chalmers and his thought bubble of a well being budget. No offence was intended but of course I apologise for any offence taken.”
मेलबोर्न के बॉबी लाखरा का कहना है कि इस माफ़ी के बाद इस विवाद को यहीं खत्म कर देना चाहिए।
हिन्दू धर्म और योग के बारे में इन टिपण्णियों को सुन कर मुझे भी दुःख हुआ एक हिन्दू के तौर पर या एक इंसान के तौर पर मैं यह समझता हूँ कि वो अपने राजनीतिक विपक्ष को जवाब दे रहे थे उसमे धर्म का नाम लेना ठीक नहीं था। अब उन्होंने माफ़ी मांग ली है तो हमे उम्मीद है कि आगे से कोई ऐसा नहीं करेगा।
श्री लाखरा कहते है कि निज़ी तौर पर वे किसी भी धर्म का मज़ाक उड़ाने के खिलाफ है।
इससे पहले अलग अलग राज्यों की भारतीय एसोसिएशन्स ने एक संयुक्त बयान जारी कर ट्रेज़रर फ्रेडेनबर्ग को हिन्दू समाज से माफ़ी मांगने को कहा था।फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के अतुल गर्ग ट्रेज़रर फ्रेडेनबर्ग के वक्तव्य पर नाराज़गी जताने वालों में से एक थे।
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अब उनका कहना है, "मुझे ये लगता है कि यदि उन्होंने माफ़ी मांगी है तो हमे उन्हें माफ़ कर देना चाहिए। माफ़ी मांगने में ही बड़प्पन है, जब किसी इंसान से ग़लती होती है तो माफ़ी एक सही कदम होता है। मुझे अब कोई आपत्ति नहीं है।
वह कहते हैं कि इस मामले में सीधे तौर पर हिन्दू धर्म के भगवान के बारे में कुछ नहीं कहा गया था इसलिए हम उन्हें माफ़ करते हैं।
वही फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एसोसिएशन्स ऑफ़ एनएसडब्ल्यू के डॉ यदु सिंह कहते हैं कि माफ़ी मांगने से वे संतुष्ट हैं लेकिन जो यह कहतें है कि ट्रेज़रर फ्रेडेनबर्ग के बयान में कुछ गलत नहीं था, उनसे वो सहमत नहीं हैं।
"ट्रेज़रर फ्रेडेनबर्ग के बयान में अगरबत्ती से पूजा, ओम और योग का मज़ाक तो बनाया गया था इसमें कोई शक नहीं है। हमने उनसे कहा था कि आप खुद इस पर रिफ्लेक्ट कीजिये अब उन्होंने माफ़ी मांगी ये स्वागत योग्य है।"
हालांकि डॉ यदु सिंह ये भी कहते हैं कि ट्रेज़रर फ्रेडेनबर्ग ने जानबूझ कर हिन्दू धर्म का मज़ाक नहीं बनाया।