मेलबर्न विक्टोरिया के दक्षिण-पूर्व सबअर्ब ऑफीसर में स्थित गुरुद्वारे को एक ग्रीन गुरुद्वारा के रूप में भी जाना जाता है। वहाँ डा हरप्रीत कांडा ने एक कार्यक्रम की शुरुवात की है ।
उन्होंने गुरुद्वारे में उपलब्ध ज़मीन पर बेकार हो चुके टायरों में उपजाऊ मिट्टी भर कर विभिन्न सब्जियाँ उगाने की शुरुवात की। और इस काम में स्थानीय प्रतिष्ठित बीकनहिल्स कॉलेज बेरविक के छात्रों को शामिल किया।
Students of Beaconhills College, Melbourne and 'Officer Gurudwara' volunteer working on a plantation project Source: Supplied / Beaconhills College photo/ Dr Harpreet Kanda
उन्होंने कहा, " कचरे के सही प्रबंधन के लिये कचरा सही बिनस् में डालें, जितना चाहिये उतना ही खाना लें और बचे खाने को दोबारा उपयोग करने का तरीका अपनायें।"
पर्यावरण और उसकी चुनौतियों की बात करते हुये उन्होंने याद दिलाया कि भारतीय संस्कृति में तो इस विषय पर हमेशा से जागरुकता रही है और इसके साथ ही उन्होंने सतत विकास के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये,
कचरा प्रबंधन के मुख्य तीन आर (Three Rs) सिद्धांतों पर ध्यान दिलाया,
" कम करें (Reduce) , पुन:उपयोग करें (Reuse) और फिर पुन:चक्रित (Recycle) करें।"
Students of Beaconhills College, Melbourne and 'Officer Gurudwara' volunteer working on a plantation project Credit: Beaconhills College photo/ Dr Harpreet Kanda
डा कांडा ने बताया कि गुरुद्वारे में उनकी इस व्यावहारिक परियोजना में, छात्रों ने 25 टायरों में विभिन्न सब्जियाँ लगाईं, जिससे लैंडफिल में अपशिष्ट में कमी आई और परिणामस्वरूप कार्बन प्रदूषण कम हुआ।
उन्होंने कहा कि यह पहल क्रियान्वित सर्कुलर अर्थव्यवस्था के एक ठोस उदाहरण के रूप में कार्य करती है। गुरूद्वारे में अपनी निःशुल्क सामुदायिक रसोई के लिए सब्जी उत्पादन में वृद्धि से लाभ होता है, और साथ ही छात्रों को सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होता है।
डा हरप्रीत कांडा गिप्सलेंड में फेडेरेशन यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग प्रोग्राम के लिये सीनियर लेक्चरर हैं।
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