करीब एक दशक से सरू राणा लगभग हर वीकेंड पर साउथ ऑस्ट्रेलिया के किसी हिस्से में महिलाओं को उनके अधिकारों से परिचित करवा रही होती हैं।
खास बातः
- महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के लिए दिया गया आइरीन बेल अवॉर्ड
- माइग्रेंट महिला के तौर पर साउथ ऑस्ट्रेलिया के समाज में योगदान की लिए मिला आइरीन क्रास्तेव अवॉर्ड
- सरू खुद को पीड़ित नहीं फाइटर कहती हैं
उन्होंने एसबीएस हिंदी को बताया, “इन अवॉर्ड्स के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है इसीलिए मैं खुद को रोल मॉडल नहीं मानती बल्कि अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगी सभी महिलाओं की साथी कहती हूं।”आइरीन बेल और आइरीन क्रास्तेव अवॉर्ड साउथ ऑस्ट्रेलिया की इंटरनैशनल विमिंस असोसिएशन द्वारा हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दिए जाते हैं।
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ऐसे मौके बहुत काम होते हैं जब दोनों अवॉर्ड एक ही महिला को मिलें।
सरू बताती हैं, “जब मैं वहां कार्यक्रम में हिस्सा लेने गयी तो मुझे पता भी नहीं था कि मैं नॉमिनेटेड हूं, लेकिन जब मैं दोनों अवॉर्ड्स के साथ घर लौटी तो मेरी बेटी और पति की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।”सरू राणा ने अपने जीवन में अनेक मुश्किलों का सामना किया है।
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वह खुद को घरेलू हिंसा की पीड़ित कहने के बजाय फाइटर कहलाना पसंद करती हैं।
उनके अनुसार, “मैं लड़ी और मुश्किलों को हरा कर एक सुखद जीवन की तरफ बढ़ सकी। अब मैं सभी महिलाओं को यही कहती हूं कि खुद पर भरोसा बनाए रखिये, ये ही आपको जीतने की शक्ति देगा।"