हरिनी कहती है कि हारना कोई बुरी बात नहीं है वो भी बहुत सी असफलताओं के बाद ही यहाँ तक पहुंची हैं।
"पिछले हफ्ते जब मैं मुंबई में अपने कॉलेज गई तो उन्होंने मेरे सम्मान में कार्यक्रम रखा, जबकि एक वक्त था जब उसी नेशनल कॉलेज' में ग्रेजुएशन के दूसरे साल में मेरे पास फीस भरने के लिए रकम नहीं थी।"
ग्लोबल विक्टोरिया वूमेन समिट में खेलों में महिलाओं की भागीदारी पर वे कहती हैं कि पिछले 10 सालों में समाज के नजरिये में बदलाव आया है।
"सही समय पर मौका मिलने के कारण ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम में एक खिलाडी ऐसी है जिसके पास ट्रेनिंग के लिए मैदान भी नहीं था, दूसरी वो जिसके पिताजी सड़क पर ठेला लगा कर सब्जी बेचते हैं लेकिन इन्हे मौका मिला है और ये इतिहास बनाने के लिए 8 मार्च को मेलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड में जुटेंगी।"