किरगिस्तान से ऑस्ट्रेलिया आई थीं जूलिया
आज आपको मिलाते हैं भारत के उत्तराखंड राज्य में एक मंदिर की अराधक और योग साधना करने वाली साध्वी माता रिषवन से. दरअस्ल इस नाम से ज्यादा इसके पीछ् की कहानी ज्यादा रोचक है. और ये कहानी है जूलिया बून की जो कि रूसी मूल की हैं. उनका बचपन किर्गिस्तान में बीता है. और साल 2003 में वो ऑस्ट्रेलिया आ गई थीं.
जूलिया कहती हैं कि वो जब 17 साल की थीं. तब से ही योग के प्रति उनका समर्पण था और और किरगिस्तान में भी वो पहाड़ों पर योग किया करती थीं. उन्होंने बताया कि वो उत्तराखंड के ऋषिकेश में योग के गुरु स्वामी शिवानंद की अनुयायी थीं.ऑस्ट्रेलिया में डेटिंग वेबसाइट चलाती थीं जूलिया
Source: Supplied / Mata Rishvan
जूलिया कहती हैं कि उन्होंने बहुत कम उम्र में शादी कर ली थी. और इसके बाद वो ऑस्ट्रेलिया आ गयी थीं. वो कहती हैं कि वो कभी भी नौकरी नहीं करना चाहती थीं. ऑस्ट्रेलिया आकर उन्होंने एक डेटिंग वैबसाइट शुरू की. जूलिया अपने परिवार के साथ सिडनी में रहती थीं. जहां उन्हें उनकी मां का भी सहयोग मिलता था. लेकिन शहरी भीड़-भाड़ उन्हें कभी भी पसंद नहीं आई और एक दिन उन्होंने सिडनी छोड़ दिया.
ऑस्ट्रेलिया में है शांति-द्वारा आश्रम
सिडनी से जाने के करीब एक साल बाद उन्होंने बेरोन बे के पास एक योग आश्रम खोला जिसका नाम उन्होंने शांति द्वारा दिया. ये आश्रम अभी भी वहां पर है. इस आश्रम में माता त्रिपुरासुंदरी का एक मंदिर भी है.
जूलिया बताती हैं कि वो अक्सर भारत यात्रा पर जाती रहती थीं. और ऐसी ही एक यात्रा में साल 2018 में जब वो बदरीनाथ जा रही थीं. तो उनकी मुलाक़ात बाबा बर्फानी दास से हुई जो उत्तराखंड में चमोली ज़िले में एक मंदिर में योग साधना करते हैं. जूलिया कहती हैं कि उनके छोटे बेटे ने बाबा बर्फानीदास की पिता कहना शुरू किया. क्योंकि जूलिया बाबा के साथ ही रह रही थीं, सामाजिक मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए एक दिन उन्होंने शादी का फैसला किया.बाबा से शादी के बाद योग का प्रसार
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दोनों ने उत्तराखंड के श्रीनगर के पास प्रसिद्ध सिद्ध पीठ धारी देवी में शादी की. अब जूलिया साध्वी माता रिषवन के नाम से जानी जाती हैं. वो कहती हैं कि बाबा बर्फानी के योग ज्ञान और जीवन शैली से वो बहुत प्रभावित थीं. अब हमने सवाल किया कि माता रिषवन ने तो अपनी ज़िंदगी का फैसला कर लिया लेकिन उनके दोनों बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और भविष्य का क्या. वो कहती हैं कि भारत की शिक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी है. हालांकि उनका बड़ा बेटा ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहा है लेकिन उनका छोटा बेटा वहीं रहकर पढ़ाई करेगा.
माता रिषवन अब बाबा बर्फानी दास के साथ योग का प्रसार करना चाहती हैं. इन दिनों वो उत्तराखंड के कई स्कूल कॉलेजों में योग सिखाने के लिए जाते हैं. वो बाबा बर्फानी दास को विज़िटर वीज़ा पर कुछ दिन के लिए ऑस्ट्रेलिया लेकर आना चाहती हैं. हालांकि उनको इसमें परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है.