भारत के इस भिलार पुस्तक गाँव का उद्घाटन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने 4 मई 2017 को किया था।
मराठी में इसे 'पुस्तकांचंगाँव' कहा जाता है।
एस बी एस हिन्दी के साथ बातचीत करते हुये, इस प्रोजेक्ट के प्रमुख श्री विनय वसंत मावळणकर ने बताया कि यह उस समय सरकार में शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े की योजना थी और उन्हीं के नेतृत्व में इसे पूरा किया गया था।
मराठी भाषा दिवस पर 27 फरवरी 2015 को इस तरह के किताब गांव और साहित्य उत्सव आयोजित करने की योजना की घोषणा की थी। श्री तावड़े के नेतृत्व में इस परियोजना पर मराठी भाषा विभाग काम कर रहा था।
मुख्य बातें
* गाँव के लोगों ने अपने घरों और स्कूलों में लाइब्रेरी के लिये जगह दी।
* ब्रिट्रेनकेवेल्समें - हेऑनवे ( Hay-on-Wye ) की तर्ज़ पर बना है।
* भिलार में हर वर्ष लगभग १०० टन स्ट्राबेरी का उत्पादन होता है।
* यह लोकप्रिय पर्यटन स्थल महाबलेश्वर के रास्ते में है।
Tourist in Bhilar Pustak Village Source: Vinay Vasant Mavalankar
यह लोकप्रिय पर्यटक स्थल महाबलेश्वर के पास और उसी रास्ते पर है।
उन्होंने बताया, “ जब इस गाँव को पुस्तक गाँव के रूप में तैयार करने के लिए गाँव के लोगों से पूछा गया तो सभी बहुत उत्साहित थे और लगभग पूरा गाँव ही इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहता था। लेकिन फिलहाल 30-35 जगहों का चयन किया गया। इसमें घरों के साथ साथ, दो स्कुल और कुछ मंदिर भी शामिल हैं।
"अभी लगभग 35,000 पुस्तकें इस गांव के घरों में उपलब्ध कराई गयी हैं । बहुत सारे प्रकाशकों ने इस पुस्तक गाँव के लिए जो लोकप्रिया साहित्य है, उसे उपलब्ध कराया । इन पुस्तकों को अपडेट भी करते रहते हैं। बहुत से पाठक और प्रकाशनों ने भी पुस्तके भेंट करने की इच्छा जताई है।”
इन पुस्तकों में साहित्य से लेकर धर्म, महिलाओं, बच्चों, इतिहास सम्बन्धित समेत पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं आदि विषय पर किताबें हैं।“यहाँ किताबें निशुल्क पढ़ी जा सकती हैं । इन घरों में लाइब्रेरी सा माहौल बने, इसके लिये किताबों को ग्लास की अलमारी में रखा गया है और बैठने आदि की जगह बनायी गयी है।
Source: Vinay Mavalankar
"पर्यटक दिन में 9-10 बजे से लेकर शाम के 6-7 बजे तक इन जगहों पर जाकर पढने का आनन्द ले सकते हैं। कुछ मकानों में पाठकों के ठहरने और खाने का भी इंतजाम है। इसके अलावा वहाँ पर रेस्टोरेंट भी हैं।लेकिन इसके लिये उन्हें पैसा देना होता है।” एस बी एस हिन्दी से बात करते हुये श्री विनय वसंत मावळणकर ने बताया।
इस गांव में करीब 2.5 किलेमीटर लम्बी सड़क के दोनों ओर की जगहें जिसमें घर, मंदिर और स्कूलस् हैं, उन्हें चुना गया और सभी लोगों ने अपनी अपनी जगह को इस अनोखे कार्य के लिये सहर्ष तौर पर दिया है। इसके लिये उन्होंने किसी तरह का अनुदान नहीं लिया है।भारत में यह पुस्तक गाँव , ब्रिट्रेन के वेल्स में - हे ऑन वे ( Hay-on-Wye ) की तर्ज़ पर बना है। हे ऑन वे को एक किताबों का कस्बा कहा जाता है और यह अपनी लाइब्रेरी और सांस्कृतिक माहौल की वजह से खूब जाना जाता है।
Project map - Bhilar Pustak Village Source: Vinay Vasant Mavalankar
इस भिलार गांव को सजाने के लिए कई अलग-अलग कलाकारों ने काम किया है।
यहाँ पर लेखकों कवियों द्वारा उनकी पुस्तकों का विमोचन तथा समय समय पर कई साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।श्री मावळणकर ने बताया, “इस गाँव का चुनाव करते समय इस बात पर ध्यान दिया गया कि चूंकि लोगों में पढ़ने की आदत विकसित करनी है तो जगह वह होनी चाहिये जहाँ पर्यटक पहले से ही आते जाते हों या उस जगह के पास हो। भिलार, पंचगनी और महाबलेश्वर के बीच में आता है और यह स्वयम् भी अपने सौन्दर्य के लिये जाना जाता है।“सतारा जिले का यह गाँव भिलार, महाराष्ट्र में लोकप्रिय महाबलेश्वर हिलस्टेशन के पास पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र के प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच में स्थित है।
A Tourist in Bhilar Pustak Gaon Source: Vinay Vasant Mavalankar
Official Opening of Bhilar Pustak Gaon by Mr Devendra Fadnavis, (Then Chief Minister of Maharashtra ) 4th May 2017 Source: Vinay Vasant Mavalankar
इस गाँव की जनसँख्या कोई 3 से 4 हज़ार तक की है।
यह पंचगनी से केवल 8 किलोमीटर और महाबलेश्वर से 15 किलोमीटर से भी कम की दूरी पर है।
यहाँ का भिलार झरना भी अपने प्राकर्तिक सौन्दर्य के लिये जाना जाता है। ।
भिलार लंबे समय तक सिर्फ अपनी स्ट्रॉबेरी की सवसे अधिक प्रोडक्शन के लिए जाना जाता था लेकिन अब स्ट्रॉबेरी के साथ साथ , भारत के प्रथम पुस्तक गाँव के रूप में अपनी पहचान बना कर यह गाँव किताबों के पारखियों के लिए , एक अलग ही आकर्षण का केन्द्र बना है।