एक दृश्य की परिकल्पना कीजिए. पैरामाटा का सुंदर विशाल पार्क, यहां चलता एक विशाल दीवाली मेला, मेले में हज़ारों की भीड़, तरह तरह के भारतीय खानों के पांडाल और मेले के केंद्र में चलते सांस्कृतिक कार्यक्रम, है ना एक शानदार दृश्य. ये खूबसूरत नज़ारा तब एक गौरवान्वित करने वाले क्षण में तब्दील हो जाता है जब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन, न्यू साउथ वेल्स की प्रीमियर ग्लेडीज़ बेरेजेकलियन देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी लेबर पार्टी की उपनेता तान्या प्लीबरसेक, पैरामाटा के लॉर्ड मेयर, सहित कई एमपी इस आयोजन में मौजूद होते हैं.कुछ ऐसा ही नज़ारा था हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया द्वारा आयोजित दीवाली मेले का. जहां माहौल इतना खुशनुमा था कि देश से बाहर भारत की दीवाली को याद करने वाले लोग भी मानो इस मेले में रम गए थे.
Source: Gaurav Vaishnava
सजे थे कई पांडाल
इस मेले में भारत के कई राज्यों से जुड़ा खाना मौजूद था जिसका यहां आए लोगों ने खूब लुत्फ़ लिया. और हम ये भी कह सकते हैं कि सबसे ज्यादा भीड़ यहां आकर खाना खाने वालों की थी.
खाने के अलावा यहां कई कंपनियों के पांडाल भी लगे थे. साथ ही थे कुछ धार्मिक पांडाल भी जहां लोग पूजा अर्चना कर रहे थे या फिर कृष्ण धुन में नाच गा रहे थे.मेले के केंद्र से कुछ दूर रावण का एक बड़ा पुतला भी लगाया गया था.. जिसका बाद में दहन किया गया और आतिशबाज़ी की गई.
Source: Gaurav Vaishnava
मेले के केंद्र में था सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंच, जहां पर भारत के कई राज्यों के सास्कृतिक झाकिंयों के अलावा खूब लगा बॉलीवुड डांस का तड़का.
गरम मसाला है ऑस्ट्रेलियाई समाज- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने अपने संबोधन की शुरूआत नमस्ते से की उन्होंने यहां मौजूद लोगों और देश वासियों को दीवाली की शुभकामनाएं दी. भारतीय समुदाय से अपने जुड़ाव दर्शाने के लिए उन्होंने अपने घर में खाना बनाने की एक कहानी सुनाई.उन्होंने कहा कि शनिवार को वो अगर घर पर होते हैं तो अक्सर वो ही खाना बनाते हैं और अपने खाने में वो गरम मसाले का प्रयोग करना नहीं भूलते. वो कहते हैं
Source: Gaurav Vaishnava
“जब मैं गरम मसाला की बात कर रहा हूं तब मैं सोचता हूं कि ऑस्ट्रेलिया में पिछले कुछ शताब्दियों में हुआ इमिग्रेशन कितना सफल रहा है. ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे सफल ‘इमिग्रेशन नेशन’ है. ऑस्ट्रेलिया में दुनिया के सभी विचारों को जिया जाता है. और ये ही हमारे शहरों और समाज का ताना बाना है. और इसीलिए मुझे गरम मसाला याद आता है. गरम मसाला यानी कई मसालों का मिश्रण और ऐसा ही हमारा समाज है”
Source: Gaurav Vaishnava
Source: Gaurav Vaishnava
इस आयोजन में एक और भाषण चर्चा में रहा वो भाषण था बरार से एम पी जूलियन लीसर का जिन्होंने अपना पूरा भाषण हिंदी में दिया. उन्होंने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध में 12 भारतीय मूल के सैनिक ऑस्ट्रेलियन आर्मी से युद्ध में शामिल हुए थे और वो उनकी याद में अपने संसदीय क्षेत्र में एक स्मारक का विमोचन करने जा रहे हैं.